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कुछ तो हमे बता दो

शीर्षक: कुछ तो हमे बता दो :
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घुट घुट कर क्यों जी रहे हैं,कुछ तो हमे बता दो,
दिल मे छिपे जज़्बातों का माजरा क्या है बंता दो।

क्यों छिपे रहते हो हमसे क्यों रू-ब-रू नहीं आते,
क्या चलता है मन में तेरे कुछ तो हमें बतादो।

मौसम है रंगीन हो रहा मस्ती छाई है दिल मे
किसके ग़म मे डूबे हो तुम उसका पता बता दो।

आज मस्ती के सागर मे अवगाहन का दिल करता है,
तुम क्यों तो अवसादग्रस्त हो यह तो हमे बता दो।

आज तैरने वास्ते झील मे हम सब ही जायेंगे,
तुम न होगे  तो ज़ानम हम अतिशय दुख‌ पायेंगे ।

छोड़ कर सारे काम जगत के आज शाम आ जाना,
मस्ती आज करेंगे हम सब अवसाद न ले कर आना।

आनन्द कुमार मित्तल, अलीगढ़

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2 Comments

Renu

10-May-2023 08:49 PM

👍👍

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बहुत अच्छे

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